What Does shiv chalisa lyricsl Mean?

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

There is no one particular as generous while you, Your devotees usually praise and serve you. The Vedas sing your divine glory, The unfathomable and timeless secrets are outside of comprehension.

Whosoever gives incense, prasad and performs arti to Lord Shiva, with enjoy and devotion, enjoys content happiness and spiritual bliss During this globe and hereafter ascends to your abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva taken out the suffering of all and grants them Everlasting bliss.

मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई ।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

तब ही दुख Shiv chaisa प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी ।

अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

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